पित्त दोष को संतुलित करने के कौन-से 10 तरीके होंगे मददगार ?

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पित्त दोष को संतुलित करने के कौन-से 10 तरीके होंगे मददगार ?

  • September 26, 2023

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पित्त के अर्थ को समझे तो इसका मतलब गर्मी होता है, जो पित्तअग्नि और जल दोनों का तत्‍व है। पित्त गर्म, तैलीय, तरल और बहता हुआ होता है। पित्त हमारे पाचन को नियंत्रित करता है, शरीर के तापमान को बनाए रखता है, त्‍वचा की रंगत, बुद्धि और भावनाओं पर भी पित्त का प्रभाव होता है। पित्त में असंतुलन आने के कारण व्‍यक्‍ति शारीरिक और भावनात्‍मक रूप से अस्‍वस्‍थ होने लगता है। पर पित्त असंतुलित न हो इसके लिए हम ऐसे 10 खाने की चीजों के बारे में आपको बताएंगे, जिसको जान कर आप पित्त दोष संबंधी समस्या से आसानी से निजात पा सकते है ;

पित्त दोष होने के क्या कारण है ?

पित्त दोष होने के कारण की बात करें तो ये समस्या बहुत ज्यादा तीखा, खट्टा, नमकीन, बहुत मसालेदार, तला हुआ, प्रोसेस्ड, रेड मीट खाने, कैफीन, ब्‍लैक टी, निकोटीन, शराब, धूप में ज्‍यादा रहने, भावनात्‍मक तनाव लेने, ज्‍यादा काम करने या आराम करने की वजह से पित्त दोष में असंतुलन आ जाता है। जिसके कारण हमारा शरीर सही से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है।

पित्त दोष होने के कारण शरीर में किस तरह के दोष देखने को मिलते है !

यदि किसी व्‍यक्‍ति के शरीर में पित्त दोष असंतुलित मात्रा में उत्पन्न हो जाए, तो ऐसे में व्यक्ति के सीने में जलन, सनबर्न, एक्जिमा, मुहांसे, एसिड रिफलक्‍स, पेप्टिक अल्‍सर, बुखार, खून के थक्‍के का जमना, स्‍ट्रोक, किडनी में संक्रमण, हाइपरथायराइडिज्‍म, पीलिया, आर्थराइटिस, दस्‍त, क्रोनिक फटीग सिंड्रोम, कम दिखाई देना, ऑटोइम्‍यून विकार और डिप्रेशन की समस्‍या हो सकती है।

अगर पित्त दोष की समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

पित्त दोष को नियंत्रित करने के लिए कौन-से आहार है मददगार ?

  1. पित्त दोष को संतुलित करने के लिए आपको गर्म चीजों से दुरी बनाकर रखना चाहिए, क्युकी पित्त का हिस्सा भी गर्म होता है और ऐसे में अगर आप गर्म चीजों का सेवन करते है तो आपके पित्त दोष की समस्या और बढ़ सकती है, तो पित्त दोष होने पर आपको निम्न खाने की चीजों का सेवन करना चाहिए, जैसे ;
  2. नारियल जोकि पित्त दोष को शांत करता है। आयुर्वेद के मुताबिक नारियल के रस को पचाने के लिए बेहतर माना जाता है। यह शरीर को ठंडक देते है। यह अलग बात है कि ये भारी है और कमजोर पाचन वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। कार्बोनेटेड पेय के मुकाबले नारियल पानी ज्यादा सेहतमंद पेय है। इसके अंदर वसा, पोटैशियम और ज़रूरी इलेक्ट्रोलाइट होते है। गर्मियों में जब आपको पसीना बहुत आता है, तो आपका शरीर इलेक्ट्रोलाइट्स को खो देता है, उस समय नारियल पानी के सेवन से आप इलेक्ट्रोलाइट्स को वापस पा सकते है और शरीर को पानी की कमी से बचा सकते है।
  3. तरबूज जोकि चमकदार गुलाबी और खीरे के परिवार से जुड़ा रसीला फल पुरातन समय से उपजाया जा रहा है। और ये पित्त दोष को भी संतुलित करता है। तरबूज खाने से शरीर में ठंडक का अहसास होता है। आप इसका सेवन सीधे काटकर या फिर जूसर में इसका रस निकालकर कर सकते है। यह एंटी ऑक्सीडेंट्स का एक अच्छा स्रोत है, इसमें 90 प्रतिशत पानी होता है, इसके साथ ही इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते है। तरबूज एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, यह लीवर और किडनी को सेहतमंद रखता है।
  4. आयुर्वेद में खीरे को कभी-कभी ‘सुशीतला’ भी कहा गया है, जिसका मतलब है प्राकृतिक रूप से ठंडा, यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद है, जिनको मूत्र संबंधित परेशानियाँ है या फिर जिन्हें ज्य़ादा प्यास लगती है। अपने आहार में खीरे को शामिल करने से आप गर्मियों में ठंडक का अहसास करेंगे। आप अपने लिए खीरे का एक स्वादिष्ट पेय भी तैयार कर सकते है, इसके रस में आप पुदीने की कुछ पत्तियां डाल लें। इस रस में आधा नींबू निचोड़कर चुटकीभर नमक डाल सकते है। एलोवेरा जूस की तासीर भी ठंडी है। खीरा और एलोवेरा दोनों ही पित्त दोष को संतुलित करने वाले माने जाते है।
  5. गर्मियों में अक्सर लोग नींबू पानी पीते है, इसके पीछे एक बड़ी वजह है। यह प्राकृतिक रूप से पसीना लाने वाली औषधि है और यह त्वचा से पसीने को आसानी से खत्म भी करता है, जिससे आपके शरीर को ठंडक मिलती है। आयुर्वेद मानता है कि इसमें पाचन को बेहतर करने के गुण है और मुंह को ताजगी देते है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हार्ट अटैक के जोखिम को कम करता है। शरीर से विषैले तत्वों को हटाने की आयुर्वेदिक शोधक प्रक्रिया में नींबू का इस्तेमाल किया जाता है।
  6. मूंग दाल को अंकुरित करके या फिर पकाकर खाया जा सकता है। दोनों के अंदर ठंडक देने वालें अच्छे गुण पाए जाते है और यह पित्त दोष को संतुलित करता है। पीली मूंग दाल पचने में आसान है और इसे रोज़ खाया जा सकता है। अंकुरित मूंग दाल भी गर्मियों में ठंडक देने वाला ऐसा नाश्ता है, जिसमें भरपूर पोषण तत्व पाया जाता है।
  7. छाछ की तासीर ठंडी है, यह पाचन को बेहतर बनाती है, मल त्याग को आसान बनाती है और पित्त दोष को शांत करती है। छाछ को तैयार करने के लिए एक हिस्सा ताजा दही लें, अगर यह गाय के दूध से बना दही हो तो बेहतर रहेगा, अब इसमें तीन हिस्सा पानी मिलाएं। इसको एक मिक्सर में डालें और कुछ देर के लिए चलाएँ। अगर ऊपर मक्खन इकट्ठा हो जाए तो उसे निकाल लें। इसमें भुना हुआ जीरा, एक चुटकी काला नमक या साधारण नमक और थोड़ा सा धनिया पाउडर मिला लें। इसमें थोड़ा सा हरा धनिया या पुदीने का पेस्ट भी आप डाल सकते है। अगर आप छाछ में ये मसाले नहीं मिलाना चाहते तो इसे सादा भी पी सकते है।
  8. अलसी के बीज की तासीर ठंडी होती है और गर्मियों के दिनों में किसी भी वक्त इसका सेवन किया जा सकता है। अलसी के बीज को पानी में कुछ देर के लिए भिगो लें फिर निगलने से पहले अच्छी तरह चबाएँ। अलसी के बीज को चबाने से पहले आप ग्राइंडर में इसे पीस भी सकते है। अलसी के बीज कब्ज़, मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कतों में फ़ायदा पहुँचाते है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अलसी के बीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
  9. आयुर्वेद के मुताबिक घी की तासीर शरीर और दिमाग के लिए ठंडक देने वाली होती है। सही मात्रा में घी का सेवन पूरे शरीर को पोषण देता है। घी, पित्त दोष को शांत करता है, इसलिए घी का सेवन भोजन से पहले या शुरुआती समय में ही कर लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि घी के सेवन के बाद कुछ भी ठंडा न खाएं न पिएं जैसे-आइसक्रीम या ठंडा पानी। भोजन के दौरान हल्का गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है।
  10. आयुर्वेद में पुदीने का इस्तेमाल साँस की दिक्कतों, मितली, सिरदर्द और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में किया जाता है। इसका ज्य़ादातर इस्तेमाल गर्मियों के पेय में किया जाता है, क्योंकि इसके अंदर ठंडक देने का प्राकृतिक गुण होता है, जो पित्त दोष को संतुलित करता है। मुँह की परेशानियों में भी पुदीना फ़ायदा पहुँचाता है। अपने ताजा फलों के जूस में पुदीना मिलाएं या फिर इसकी चटनी बनाकर खाएँ। शरीर से विषैले तत्वों को निकालने के लिए आयुर्वेद की शोधक प्रणाली में पुदीने की चाय पीने की सलाह दी जाती है।
  11. पित्त दोष को संतुलित करने में ज्य़ादातर कसैली चीजों को फायदेमंद माना जाता है। वहीं नीम की पत्तियों में ठंडक देने वाले गुण होते है, जो रक्त धातु और खून को साफ़ करते है। नीम की पत्तियां लीवर, पैनिक्रियास की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाती है और रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करती है।  

अगर इन खाने की चीजों का सेवन करने के बाद भी आपके पित्त दोष की समस्या ठीक न हो, तो इसके लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए।

पित्त दोष दूर करने के उपाय क्या है ?

  • कड़वी, कसैली और मीठी चीजें खाएं। पित्त को शांत करने में घी, मक्‍खन और दूध लाभकारी होते है। खट्टे फलों की बजाय मीठे फलों का सेवन करें। इसमें शहद एक अच्‍छा विकल्‍प है।
  • ज्‍यादा शारीरिक गतिविधियों या अधिक आराम करने से बचें। आपको न तो बहुत ज्‍यादा काम करना है और न ही बहुत ज्‍यादा आराम।
  • संतुलित आहार लें और प्रकृति के साथ कुछ समय बिताएं।
  • पित्त को संतुलित करने का सबसे अच्‍छा तरीका मेडिटेशन या ध्‍यान भी है। इसके अलावा जो भी काम आपको पसंद है वो करें और ज्‍यादा से ज्‍यादा खुश रहने की कोशिश करें।
  • योग की मदद से भी पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है। मार्जरीआसन, शिशु आसन, चंद्र नमस्‍कार, उत्‍कतासन, भुजंगासन, विपरीत शलभासन, पश्चिमोत्तासन, अर्ध नौकासन, अर्ध सर्वांगासन, सेतु बंधासन और शवासन योग करें। 

इन उपायों को अपनाने के बाद भी अगर आपके पित्त दोष की समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको दीप आयुर्वेदा हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

पित्त दोष की समस्या से बचाव के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में हम उपरोक्त बता चुके है। वहीं किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।